ITI Plumber tools name in Hindi with image/picture. Plumbing tools list pdf download free for ITI students, Apprentice trainees and professional workers. It is important list of tools used by plumber in daily work life for service. These equipment make a complete kit to become a pro worker.
Plumber Tools Name
1. Steel Rule: यह एक माप लेने वाला औजार है इसके द्वारा प्रत्यक्ष माप मापा जाता है अर्थात माप की रीडिंग इसके ऊपर सीधे ही पढ़ ली जाती है | यह स्टेनलेस स्टील या स्प्रिंग स्टील का बना होता है | यह विभिन्न साइजों का मिलता है, जैसे 15cm, 30cm और 60cm, इसका चुनाव लम्बाई के अनुसार किया जाता है | इसके ऊपर मीट्रिक प्रणाली में mm तथा ब्रिटिश प्रणाली में इंचो के चिन्ह अंकित होते है, इससे किसी भी पार्ट जॉब या पाइप इत्यादि की लम्बाई, व्यास, चौड़ाई, गहराई आदि मापी जाती है |
2. आउटसाइड कैलिपर : यह एक अप्रत्यक्ष मापी औजार है | इसके द्वारा वस्तुओं का बाहर का माप मापा जाता है | यह माइल्ड स्टील का बना होता है तथा इसके वोर्किंग पॉइंट अन्दर की तरफ मुड़े होते है और केस हार्ड होते है ताकि जल्दी से न घिसे | इसके द्वारा माप लेने के बाद इसके खुले माप को स्टील रूल पर चेक किया जाता है | इनका चुनाव लम्बाई के अनुसार किया जाता है | यह स्प्रिंट टाइप तथा फर्म जॉइंट प्रकार के होते है |
3. इनसाइड कैलिपर : यह भी एक अप्रत्यक्ष मापी औजार है, इसके द्वारा वस्तुओं के अन्दर का माप मापा जाता है | यह भी माइल्ड स्टील का बना होता है तथा इसके वोर्किंग पॉइंट बाहर की तरफ मुड़े होते है व केस हार्ड होते है यह भी स्प्रिंट टाइप और फर्म टाइप दो प्रकार का होता है |
4. जैनी कैलिपर (jenny Caliper): यह एक मार्किंग टूल है, इसका प्रयोग धातु समानांतर लाइने लगाने के लिए किया जाता है | इसकी बनावट इस प्रकार होती है की इसकी एक टांग सीधी और आगे से तेज नोकदार होती है और दूसरी टांग आगे से 10mm के रेडियस में 900 के कोण पर मुड़ी होती है | मुड़ी हुए टांग को जॉब की सतह के साथ सटाकर ही मार्किंग की जाती है | यह माइल्ड स्टील का बना होता है तथा इसके वोर्किंग पॉइंट भी केस हार्ड होते है ताकि वो जल्दी न घिसे | इसे आड़ लेग कैलिपर या हर्मोफ्रोडाआइट कैलिपर भी कहते है |
5. Straight Edge (सीधी धातु) : इस औजार का प्रयोग रेखाएं खींचने के लिए किया जाता है तथा इसके द्वारा सतह का समतलपन भी चैक किया जाता है | यह टूल स्टील का बना होता है | इसकी लम्बाई 100mm से 1000mm तक होती है
6. डिवाइडर : इससे 150mm त्रिज्या तक के वृत्त और चाप लगाये जाते है तथा इसके द्वारा सीधी रेखा को बराबर भागो में भी बांटा जाता है | इसकी दोनों टांगे आगे से नुकीली और सीधी तेज होती है | यह माइल्ड स्टील का बना होता है | इसके वोर्किंग पॉइंट केस हार्ड होते है |
7. स्पिरिट लेवल : इस औजार का प्रयोग जोड़ी गयी पाइप लाइन की लेवलिंग चैक करने के लिए किया जाता है | इससे मचिनों के आधार का लेवल भी देखा जाता है | इसमें स्प्रिट भरा होता है तथा वायु का बुलबुला भी छोड़ा जाता है और जब सतह समतल होती है तो यह बुलबुला बिच में होता है | जब यह बुलबुला इधर-उधर होता है तो जिस तरफ बुलबुला होता है, वही स्थान ऊँचा होता है | अत: इसे प्रयोग करते समय सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि इसकी ट्यूब कांच/प्लास्टिक की बनी होती है जो चोट लगने पर टूट जाती है |
8. Try Square: इसे इंजिनियर स्क्वायर या गुनिया भी कहते है | इसके दो प्रमुख भाग होते है स्टॉक और ब्लेड | यह स्टॉक कास्ट आयरन, लकड़ी, एल्युमीनियम तथा स्टील का बना होता है और ब्लेड स्टेनलेस स्टील, स्प्रिंग स्टील या अलॉय स्टील का बना होता है | कुछ ट्राई स्क्वायर के ब्लेड के ऊपर इंचों तथा मिलीमीटर में चिन्ह अंकित होते है | इसका साइज़ ब्लेड की पूरी लम्बाई से लिया जाता है | यह 3” या 75mm या 12” या 300mm तक होते है | इसका प्रयोग फिटिंग शॉप तथा कारपेंटर शॉट में अधिकतर किया जाता है | प्लंबिंग में इसका प्रयोग लाइन के 900 के कोण पर चैक करने के लिए करते है | कुछ Try square के स्टॉक तथा ब्लेड के मोटाई बराबर होती है तथा दोनों एक ही धातु के बने होते है | यह पतली शीट के होते है तथा इसे L-Square कहते है | इसका प्रयोग राजमिस्त्री करते है
9. Snip: यह एक हैण्ड कटिंग टूल है | इसका प्रयोग पतली शीट और सरिया काटने के लिए किया जाता है | यह एक प्रकार की कैंची है | यह हाई कार्बन स्टील की बनी होती है | इसकी धार 80 डिग्री के कोण पर ग्राइंड होती है | इसका साइज़ 300mm होता है |
10. Hack-Saw (आरी): यह एक प्रकार का कटिंग टूल है इसके द्वारा धातु को आसानी से काटा जाता है | इसके दो भाग होते है ब्लेड और फ्रेम | इसका फ्रेम माइल्ड स्टील की पत्ती या Pipe का बना होता है इसके एक सिरे पर हैंडल और फिक्स्ड पिन तथा दुसरे सिरे पर स्लाइडिंग स्क्रू की पिन के बिच में ब्लेड फिट करते है | फ्रेम में 150mm से 300mm तक के ब्लेड बंधे जाते है | इसका ब्लेड टंग्स्टन स्टील या एलाय स्टील का बना होता है, ब्लेड के दोनों किनारों पर सुराख़ होते है | इन सुराखों के सेण्टर से इसकी लम्बाई या साइज़ लिया जाता है | धातु को काटते समय ब्लेड के दातों को सामने की तरफ रखना चाहिए
11. छैनी : यह एक हैण्ड कटिंग टूल है | इसका प्रयोग वहां किया जाता है, जैसा हैकसॉ व रेती द्वारा धातु काटना मुश्किल हो पतली चादरों तथा सरिये इत्यादि को दो भागों में बाटनें के लिए व दीवारों में पाइप फिटिंग करने के लिए ग्रूव इत्यादि निकालने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है | यह हाई कार्बन स्टील की बनाई जाती है, जिसमें 0.75% से 0.85% तक कार्बन होती है |
12. रेती (File): यह एक कटिंग टूल है | इसका प्रयोग धातु को घिसने के लिए किया जाता है | यह हाई कार्बन स्टील की बनी होती है तथा टैंग को छोड़कर इसका बाकि भाग हार्ड व टेम्पर होता है | इसके फेस पर दातें होते है जो कटिंग का काम करते है |
13. पाइप वाईस: इसका प्रयोग पाइप या गोल रॉड को पकड़ने के लिए किया जाता है | इसके जॉव ‘V’ Groove में 90 डिग्री के कोण पर बने होते है | इसकी बॉडी कास्ट आयरन की तथा स्पिंडल व हैंडल माइल्ड स्टील के होते है | इसका स्पिंडल लम्बरूप में फिट होता है | आकृति के अनुसार ये तिन प्रकार के होते है, जिनमे साधारण पाइप वाईस, चेन पाइप वाईस प्रमुख है | इसका साइज़ इसके जॉव द्वारा पकडे जाने वाले बड़े से बड़े पाइप के अधिकतम व्यास से लिया जाता है |
14. हथोडा (Hammer): यह एक common hand tool है | इसका प्रयोग चोट लगाने के लिए किया जाता है | इसके द्वारा चोट लगाकर फोर्जिंग, बेन्डिंग, चिप्पिंग और रिवेटिंग इत्यादि क्रियाएँ की जाती है | हैमर मुख्यत कास्ट स्टील के बनायें जाते है | यह वजन तथा शक्ल के अनुसार मिलते है | इनका वजन 0.11 kg से 10 किलोग्राम तक होता है | इसमें फिट हैंडल इसमें वजन के अनुसार लम्बाई में रखा जाता है | यह 200mm से 300mm तक होता है |
15. ड्रिलिंग मशीन : धातु में सुराख़ करने के लिए जिस मशीन का प्रयोग किया जाता है उसे ड्रिलिंग मशीन कहते है |
16. Tap: टैप एक कटिंग टूल है, इसके द्वारा सिलिंडरिकल होल की अंदरूनी चुदियाँ काटी जाती है | इसके द्वारा चूड़ी काटने की क्रिया को टैपिंग कहते है | इसे हाथ द्वारा व मशीन द्वारा दोनों तरह से चलाया जाता है | यह हाई कार्बन स्टील तथा हाई स्पीड स्टील से बनता है | इसकी बॉडी पर चुदियाँ कटी होती है जिनमे फ्ल्युट्स या ग्रूव होते है | हैण्ड टैप में तिन सेट होते है – टैपर सैट, सेकंड सेट, bottoming टैप | प्रत्येक टैप आगे से टेपर होता है, जिसे टेपर लीड कहते है | यह टेपर क्रमशः तीनों में 4, 10 तथा 20 डिग्री में होती है |
17. डाई (Die): डाई एक चूड़ी काटने वाला औजार है, जिसके द्वारा बाहरी चूड़ियाँ काटी जाती है | इसके द्वारा गोल सरिये या पाइप के बाहर चूड़ियाँ काटी जाती है | यह हाई कार्बन स्टील या हाई स्पीड स्टील की बनी होती है | इसे पकड़ने के लिए डाई स्टॉक का प्रयोग किया जाता है | प्लंबर सबसे ज्यादा रैचेट पाइप डाई का प्रयोग करते है |
18. करनी (Trowel): यह लोहे की पत्ती की बनी होती है | इसका प्रयोग चिनाई करते समय मसाले को बिछाने तथा प्लास्टर आदि को करने के लिए किया जाता है |
19. फावड़ा (Phawra): चिनाई के लिए मसाला बनाने के लिए तथा नीवं की खुदाई करने व गड्ढे से मिटटी बाहर निकालने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है |
20. कुदाल (Pick Axe) : नींव की खुदाई करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है |
21. तसले (Trays): यह लोहे के बने होते है | इनका प्रयोग चिनाई करते समय मसाला या मिटटी इत्यादि को ले जाने के लिए करते है |
22. मार्बल कटर/ कटर मशीन : इस कटर मशीन से हम हम बड़ी आसानी से ईंट, पत्थर, R.C.C., लकड़ी, स्टील इत्यादि को काट/ग्राइंड कर सकते है
23. लैडल (Ladle): यह माइल्ड स्टील का बना होता है और अन्दर में अर्ध-गोलाई में बना होता है | इस के ऊपर दीपक या चिराग की तरह मुहँ बना होता है ताकि सिक्का नाली/ धार के रूप में डाला जा सके | इसे पकड़ने के लिए इस में 200mm से 600mm तक लम्बा हैंडल लगा होता है | यह अलग-अलग छोटे बड़े साइजो में बना होता है | इसका प्रयोग पिघले सिक्के को कास्ट आयरन पाइप जॉइंट में भरने के लिए किया जाता है | पहले सिक्के को मैटल पॉट में पिघलाया जाता है, इसके बाद पिघले सिक्के को लैडल में डाला जाता है ताकि सिक्का ठंडा न हो सके | इसके लिए पहले खाली लैडल को गर्म कर लिया जाता है | इसके हैंडल में कपडा या बोरी लपेट लेनी चाहिए ताकि इसे उठाते समय हाथ को गर्मी या (सेंक) न लग सके
24. Metal Pot: यह भी लैडल की तरह होता है | इसके अन्दर लैड को थोड़ी मात्रा में पिघलाया जाता है | यह भी माइल्ड स्टील की चादर से बना होता है
25. Water Pump Plier : इस प्लायर का प्रयोग लगभग प्रत्येक घर में किया जाता है क्योंकि इससे घरेलु प्लुम्बिंग का काम आसानी से किया जाता है | इसकी बनावट इस प्रकार की होती है की इसे किसी भी साइज़ में सेट किया जा सकता है | इसको 50mm तक लगभग 7 साइजों में साईट किया जाता है |
26. Adjustable Wrench: इसे समायोजन रेंच भी कहते है | इसके द्वारा अलग-अलग साइजों में नट व बोल्ट खोले व कसे जाते है | इसके द्वारा नटों को खोलते समय मूवेबल जॉव की तरफ को बल लगाना चाहिए | इसकी लम्बाई 100mm से 400mm तक होती है | इसे नट के साइज़ के अनुसार खोला जाता है |
27. पाइप रैंच : प्लुमबिंग के काम में पाइप रैंच का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है | इसका प्रयोग विभिन्न साइजों के पाइपों को कसने या खोलने के लिए किया जाता है | इसके जॉव पर दातें कटे होते है, जिससे यह पाइप आदि को मजबूती से पकड़ता है |
28. चेन पाइप रैंच : बड़े साइज़ के पाइपों को पकड़ने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है | जो पाइप साधारण पाइप रैंच से नहीं पकडे जाते है, इस रैंच द्वारा पकड़ कर खोले व कसे जाते है | इसमें चेन को इसकी बॉडी में फिट स्प्रोकिंट के दातों में फिट किया जाता है
29. पेंचकस (Screw Driver) : पेंचकस का प्रयोग विभिन्न प्रकार के पेंचो को खोलने व कसने के लिए किया जाता है हमें हमेशा 2 in 1 पेंचकस का प्रयोग करना चाहिए |