ITI workshop calculation and science Important Definitions PDF

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ITI Workshop calculation and science important Definitions

1. ठोस (Solid):  ठोसों का आकार और आयतन निश्चित होता है | जैसे – पत्थर, लोहा, कार्क आदि |

2. तरल (Liquid) : तरल पदार्थों का आयतन तो निश्चित होता है परन्तु आकार निश्चित नहीं होता है | वे बह (Flow) सकते है | जैसे – तेल, पानी, दूध आदि |

3. गैस (Gas): इनका आयतन व आकार निश्चित नहीं होता है | जैसे ऑक्सीजन, हाइड्रोजन आदि |

4. यौगिक (Compound): जब दो या दो से अधिक तत्वों को किसी भी रासायनिक क्रिया द्वारा निश्चित अनुपात में मिला दिया जाये तो प्राप्त हुए नए पदार्थ को यौगिक कहते है | इसमें मूल तत्वों को देख नहीं सकते है तथा उनके गुण भी बदल जाते है | जैसे – पानी, नमक आदि |

5. मिश्रण (Mixture): जब दो या दो से अधिक तत्वों को साधारण प्रक्रिया द्वारा बिना अनुपात में मिला दिया जाये तो प्राप्त हुआ पदार्थ मिश्रण कहलाता है | मिश्रण में इसके मूल तत्वों को आसानी से देखा जा सकता है |

6. लचीलापन(Elasticity): यदि किसी धातु पर बल लगाया जाये और उसके आकार में परिवर्तन हो जाये और बल हटाने पर धातु अपने मूल आकार में आ जाये तो इस गुण को लचीलापन कहते है |

7. Plasticity: धातुओं पर लगा बल हटाने पर यदि धातु मूल आकार में न आये तो ऐसे गुण को प्लास्टिसिटी कहते है | ऐसी धातुओं को दबाकर उनका आकार बदला जाता है |

8. तन्यता (Ductility): धातुओं का गुण जिसके कारण इनके तार खींचे जा सकें, तन्यता कहलाती है |

9. अघात्वर्ध्यता (Malleability): धातुओं का गुण जिसके कारण उन्हें पीटकर या रोलिंग चादरों (Sheets) में बदला जा सके, अघत्वराध्यता कहलाता है |

10. कडापन (Hardness) : ऐसा गुण जिसके कारण धातुएं दूसरी धातुओं पर खरोंच डाल देती है या उन्हें घिसा देती है |

11. भंगुरता (Brittleness) : चोट मारने पर धातु यदि टूट कर बिखर जाये तो वह गुण भंगुरता कहलाता है |

12. Weldability: वह गुण जिसके कारण धातुओं को आसानी से वेल्डिंग द्वारा जोड़ा जा सकता है |

13. लो कार्बन स्टील (Low Carbon Steel) : इसको माइल्ड स्टील भी कहते है, हम आईटीआई में जिस धातु की प्लेट से जॉब बनाते है उसे ही लो कार्बन स्टील या माइल्ड स्टील या MS प्लेट कहते है | इसमें कार्बन की मात्रा 0.25% तक होती है | इसकी फोर्जिंग, वेल्डिंग तथा मशीनिंग आसानी से की जा सकती है | यह मैलिएबल व डक्टाइल होता है | इसे हार्ड और टेम्पर नहीं किया जा सकता है परन्तु इसकी केस हार्डनिंग की जा सकती है |

14. मीडियम कार्बन स्टील : इसमें कार्बन की मात्रा 0.25% से 0.70% होती है | इसका प्रयोग तार, पाइप, छोटे एक्सेल, साधारण हाथ के औजार, स्प्रिंग आदि बनाने में किया जाता है |

15. हाई कार्बन स्टील : इसमें कार्बन की मात्रा 0.70% से 1.5% तक होती है | इसे हार्ड और टेम्पर किया जा सकता है | इसका प्रयोग छैनी, रेती, डाई, ड्रिल, शाफ्ट आदि बनाने में किया जाता है |

16. अनिलिंग (Annealing): पहले से धातु पर किये गए कार्य के कारण आई कठोरता को कम करके नर्म बनाने की क्रिया को अनिलिंग कहते है | इसके करने से धातु नर्म, तन्य, धातवर्ध्य तथा मशीनिंग करने लायक हो जाती है |

17. बल (Force):  यह वह धक्का या खिंचाव है जो किसी वस्तु की स्थिती को बदलता है या बदलने की कोशिश करता है |

18. विराम (Rest) : जब कोई वस्तु अपनी अवस्था अपने आस-पास की अन्य वस्तुओं की अपेक्षा न बदलें तब  वस्तु विराम अवस्था में कहलाती है | जैसे : सड़क के किनारें खड़ा पेड़ इत्यादि

19.  गति (Motion): जब कोई वस्तु अपनी अवस्था अपने आस-पास की अन्य वस्तुओं की अपेक्षा बदले तब वह वस्तु गति में होती है | जैसे – सड़क पर जाती बस गति में होती है |

20. गुरुत्वाकर्षण (Gravitation): संसार में हर वस्तु एक दुसरे को अपनी और आकर्षित करती है | इस आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते है |

21. मशीन (Machine): एक यंत्र जिसकी सहायता से कम बल लगाकर कम समय में अधिक कार्य किया जा सके, उसे मशीन कहते है |

22. घर्षण (Friction): जब कोई वस्तु किसी धरातल पर सरकती है या सरकने का प्रयास करती है तो वस्तु तथा धरातल के मध्य एक विपरीत बल पैदा होता है, जो वस्तु को सरकने से रोकता है | इस विपरीत बल को हम घर्षण कहते है |

23. वायुमंडल (Atmosphere): हमारे चारों तरफ मौजूद वायु को हम देख नहीं सकते है पर महसूस कर सकते है | चलती हुई वायु की पहचान, वायु में उपस्थित धुल कण तथा हिलते हुए वृक्ष के पत्तों से की जा सकती है | इस प्रकार हमारे चारों तरफ फैले हुए वायु के आवरण को वायुमंडल कहते है |

24. ऊष्मा (Heat): ऊष्मा एक प्रकार की उर्जा है, जिसके कारण हमें गर्मी अथवा सर्दी का अनुभव होता है |

25. तापमान (Temperature): यह ऊष्मा का प्रभाव है | किसी वस्तु को छूने से उसकी गर्माहट या ठंडक का अंदाजा लगाया जा सकता है |

26. कैलोरी : यह C.G.S. प्रणाली में ऊष्मा की इकाई है | एक ग्राम पानी के ताप को 10C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रां को एक कैलोरी कहते है |

27. पाइरोमीटर (Pyrometer): हम साधारण पारे के थर्मामीटर से 3500C  से अधिक का ताप नहीं माप सकते है | अत: एक ऐसा यंत्र जिससे भट्ठी का उच्च ताप मापा जाता है, उसे पायरोमीटर कहते है | यह थर्मोकपल के सिद्धांत पर कार्य करता है |

28. चुम्बक (Magnet): ऐसे पदार्थ जो दुसरे पदार्थों को अपनी तरफ खींचते है अथवा खींचने का गुण रखते है, चुम्बक कहलाते है तथा वह गुण जिसके द्वारा पदार्थ एक दुसरे की तरफ खींचते है, चुम्बकत्व कहलाता है |

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