Different Types Plumbing taps and valves and cocks fittings of water control system in Hindi with pdf download free for ITI Plumber Trade students. Helpful for CTS 2023-24 Theory Exam paper preparation. basic used in workplace lecture notes.
Plumbing Taps and Valves
प्लम्बिंग लाइन में इस्तेमाल होने वाली अलग-अलग प्रकार की टोंटिया
Different types of taps in Plumbing
Cocks and Taps अर्थात टोंटियों का प्रयोग किसी पाइप लाइन से पानी लेने के लिए किया जाता है | अर्थात इन का प्रयोग अलग-अलग स्थानों पर किया जाता है | जिनमे से कुछ का वर्णन निम्नलिखित है –
1. Bib Cocks/Compration Cock : इस कोक के स्पिंडल के निचे वाले किनारे में एक सुराख़ होता है | जिसके अन्दर जम्पिंग वाल्व होती है | जब इस कोक के हैंडल को 4 या 5 चक्कर क्लॉक वाइज/एंटी क्लॉक वाइज घुमाते है, तब यह खुलती/बंद होती है | इसका प्रयोग लैट्रिन, बाथरूम, वाश बेसिन और किचन के लिए किया जाता है |
2. पिल्लर कॉक : जैसे इस के नाम से प्रतीत होता है की यह खम्बे की आकृति में खड़ी होती है | इस को खड़ा ही फिट किया जाता है | इस का प्रयोग वाश बेसिन, किचन सिंक में किया जाता है, क्योंकि दूसरी कोक इनमे फिट की जाये तो वह अच्छी नहीं लगती है | इस पिल्लर कॉक की कार्य प्रणाली बिब कॉक जैसी ही होती है
3. Side Cock: इस कॉक का हैंडल व स्पिंडल इकठ्ठा बना होता है | कोक की बॉडी में से स्पिंडल निचे की और निकला होता है, जिसके ऊपर नट चढ़ा दिया जाता है | पानी आने के लिए टोंटी के स्पिंडल में आयताकार सुराख़ बना होता है | यदि इस टोंटी के हैंडल को हम किसी भी तरफ 90 डिग्री घुमाते है | तब यह टोंटी बंद होती है या खुलती है | अत: इस को साइड कॉक कहते है | इस कॉक का प्रयोग किचन, बाथरूम और वाश बेसिन के लिए किया जाता है
4. Push Cock: जैसे इसके नाम से प्रतीत होता है की यह कॉक धकेलने या दबाने पर ही कार्य करती है | इसके स्पिंडल के आगे एक स्प्रिंग होता है | जब हैंडल के द्वारा स्पिंडल को दबाया जाता है, तब स्पिंडल स्प्रिंग को प्रेस करता है, जिससे सुराख़ खुल जाता है और हैंडल के द्वारा पानी आना शुरू हो जाता है | ज्यादातर इस कॉक का प्रयोग सार्वजानिक स्थानों पर किया जाता है | जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, धर्मशाला इत्यादि ताकि पानी बेकार न हो सके
5. Surgeon Cock : इस कॉक की कार्य प्रणाली साइड कॉक जैसी होती है | इस कॉक के ऊपर 7” या 8” लम्बा हैंडल लगा होता है | ताकि कोक का प्रयोग करते समय कॉक को खोलने या बंद करने में समय बर्बाद न हो सके | इस कॉक का प्रयोग डॉक्टर आमतोर पर ऑपरेशन करते समय करते है |
6. Locking Cock : यह कॉक ऐसे स्थानों पर लगायी जाती है, जहाँ टेम्परेरी तौर पर पांच या दस दिन के लिए कार्य बंद किया जाये | उस समय यह कॉक लगाकर इसमें लॉक लगा दिया जाता है, जिससे बिना लॉक को खोले इससे पानी नहीं लिया जा सकता है |
7. लिफ्ट कॉक : इसको जैम हम निचे से ऊपर को उठाते है अर्थात लिफ्ट करते है | तब पानी आना शुरू हो जाता है | क्योंकि इसका रबड़ वॉशर व शीट आउटलेट को बंद कर देते है | इस कॉक का प्रयोग सार्वजानिक स्थानों पर किया जाता है | जैसे पार्क, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड आदि ताकि पानी बर्बाद न हो सके
8. Mixer Hole Cock : यह कॉक हॉट वाटर और कोल्ड वाटर के दो इनलेट को आउटलेट करते समय एक होल बना देता है | अर्थात दोनों को एक में बदल देता है | इसलिए इसे मिक्सर होल कहते है | इसका प्रयोग बाथरूम में, वाश बेसिन में या बाथ तब में जब गर्म या ठन्डे पानी की फिटिंग की जाती है, उस समय किया जाता है |
9. Half turn cock : इस कॉक का जब हम प्रयोग करते है, तब आधा घुमाने पर ही यह कॉक खुल जाती है और वापिस आधा चक्कर घुमाने पर ही यह कॉक बंद हो जाती है | अत: इसको हाफ टर्न कॉक कहते है | इससे यह लाभ होता है की कॉक को खोलने या बंद करने में अधिक समय बर्बाद नहीं होता है |
खराबियां व मुरम्मत : आमतौर पर टोंटियों में कुछ समय बाद वॉशर ख़राब हो जाता है, जिन्हें बदल दिया जाता है या पिंडल के पास से पानी निकलता है, तो बुश नट में धागा/सफेदा लगा कर कुछ कस दिया जाता है
सावधानियां :
- हमें स्टैण्डर्ड कंपनी की बनी हुई कॉक का प्रयोग करना चाहिए |
- कॉक की फिटिंग करने से पहले उसे चैक कर लेना चाहिए | हमें स्थिति के अनुसार कॉक का प्रयोग करना चाहिए |
- नई कॉक को फिट करते समय कपडा लगाकर पाइप रैंच लगाना चाहिए |
- कॉक पर किसी प्रकार की चोट नहीं मारनी चाहिए |
- कॉक को हमें कभी भी कास कर बंद नहीं करना चाहिए |
Different Types of valves in Hindi
किसी भी पाइप लाइन में तरल पदार्थ को कण्ट्रोल करने के लिए वाल्व का प्रयोग किया जाता है | यह वाल्व कार्य और स्थिति के अनुसार अलग-अलग प्रकार के प्रयोग किये जाते है | इसी के अनुसार इनके नाम रखे गए है |
वाल्व आमतौर पर Gum Metal, Brass, Cast iron, Plastic, Aluminium, Steel & Fiber Glass इत्यादि के बनाये जाते है |
1. Sluice/Gate valve : यह वाल्व आमतौर पर वाटर सप्लाई की मेन पाइप लाइन में व ब्रांच पाइप लाइनों में पानी को कण्ट्रोल करने के लिए लगाये जाते है | यह वाल्व दोनों तरफ से Socketed/Spicted/Flanged हो सकते है | ताकि इन्हें आसानी से फिट किया जा सके | वाल्व के अन्दर पानी को कण्ट्रोल करने के लिए एक डिस्क होती है, जो हैंडल से कनेक्टेड होती है | हैंडल के द्वारा इसे पूरा ऊपर उठाया जा सकता है और वापिस अपनी शीट पर बिठाया भी जा सकता है | अर्थात यह फुल way वाल्व होती है जो पूरा पाइप के व्यास जितना खुल जाता है | यह वाल्व जहाँ पर भी लगाया जाते है, प्राय: इनके साथ इंटों की पक्की हौदी बनाकर, इसको कवर कर दिया जाता है, ताकि वाल्व सुरक्षित रह सके |
2. Float Valve : यह वाल्व प्राय घरों के स्टोरेज टैंक, हाई लेवल फ्लशिंग सिस्टर्न और लो लेवल फ्लशिंग सिस्टर्न में प्रयोग किये जाते है | इसमें एक बाल होती है और इस वाल्व की सारी कार्य प्रणाली इसी बाल पर आधारित होती है | जैसे-जैसे टैंक में पानी भरता रहेगा वैसे-वैसे बाल ऊपर उठती रहेगी और अंत में यह वाल्व को पूरी तरह बंद कर देगी | जिससे वाल्व के द्वारा टैंक में पानी आना बंद हो जायेगा |
3. Air Valve/ Air Relief Valve/ Poppet Valve : यह वाल्व वाटर सप्लाई की मेन पाइप लाइनों में पानी के साथ कुछ मात्रा में आई हवा को बाहर निकालने के लिए प्रयोग किये जाते है | यह हवा यदि पाइप लाइन से बाहर नहीं निकाली जाये तो समस्या उस समय और भी विकट रूप धारण कर लेती है जब पाइप लाइन रूक जाती है | तब पाइप लाइनों का उपरी हिस्सा जो किसी पहाड़ी या पुल इत्यादि पर होने के कारण बाकी पाइप लाइनों की अपेक्षा ऊँचा होता है और पानी रहित होता है तथा जब दोबारा पानी की सप्लाई की जाती है तो यह हवा धीरे-धीरे उस क्षेत्र में इतनी मात्रा में इकट्ठी हो जाती है की पाइप लाइन फट सकती है या इससे आगे के क्षेत्र को पानी की सप्लाई नहीं हो सकेगी अर्थात एयर लॉक हो जायेगा | अत: यह वाल्व पाइप लाइनों के उपरी हिस्सों पर हवा को बाहर निकालने के लिए लगाये जाते है |
4. फायर हाईड्रेन्ट वाल्व : यह वाल्व मेन वाटर सप्लाई पाइप लाइनों के अतिरिक्त सभी गलियों की वाटर सप्लाई पाइप लाइनों में भी आवश्यकताअनुसार लगाये जाते है | इनका प्रयोग मुख्य रूप से आग लगने पर इस के द्वारा लाइनों से पानी लेने के लिए किया जाता है परन्तु कई बार सडको व गलियों को धोने, सीवरों को साफ़ करने और बगीचों को पानी देने इत्यादि कार्यों के लिए भी किया जाता है | आमतौर पर इस वाल्व का व्यास 2 या 3 इंच होता है | जिससे इसके साथ आसानी से होज पाइप जोड़ा जा सकता है | यह वाल्व ऐसे स्थानों पर लगाये जाते है जहाँ इन्हें रात में भी आसानी से ढूंढा जा सके और इसके कवर पर F.H. (Fire Hydrant) लिख दिया जाता है |
5. स्टॉप कॉक/स्टॉप वाल्व : यह एक प्रकार का वाल्व है, जिसका प्रयोग सैनिटरी फिटिंग में किया जाता है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसके द्वारा सप्लाई बंद की जा सके | इसके अन्दर जम्पिंग वाल्व होती है | प्राय: यह 1/2” से 1” व्यास टेक की पाइप लाइन में ही प्रयोग किये जाते है | स्टॉप कॉक को चूड़ियों के आधार पर प्राय: तिन प्रकारों में बांटा गया है |
(i) Male stop cock : इस स्टॉप कॉक के दोनों किनारों के ऊपर चूड़ियाँ बनी होती है | अत: इसको जोड़ने के लिए पाइप लाइनों में सॉकेट, एल्बो या टी लगानी पड़ती है |
(ii) Female stop cock : इस स्टॉप कॉक के दोनों किनारों के अन्दर फीमेल चूड़ियाँ बनी होती है | अत: इसको पाइप लाइनों में जोड़ने के लिए किसी सॉकेट या एल्बो की जरूरत नहीं होती है और पाइप सीधा ही इसी में कसा जा सकता है |
(iii) Male and Female stop cock : इस स्टॉप कॉक के एक किनारे पर Male thread और दुसरे किनारे पर Female thread बनी होती है | अत: इसको मेल एंड फीमेल स्टॉप कॉक के नाम से पुकारा जाता है
6. Reflux/Check/Non Return valve : इस वाल्व की आकृति टी जैसी होती है | इसका प्रयोग डीजल इंजन पम्प, हैण्ड पम्प और मोटर इत्यादि के साथ लगाने के लिए किया जाता है ताकि इनको बंद करने पाइप लाइन का पानी वापिस न आ सके और पाइप लाइन खाली न हो सके | यदि पाइप लाइन का पानी लाइन का पानी उतर जायेगा तो दोबारा मोटर या पम्प को चलने में परेशानी होगी | इस वाल्व में एक डिस्क होती है जो वाल्व में एक कब्जे के द्वारा जुडी होती है और पानी के प्रेशर से खुल जाती है और जब सप्लाई बंद होती है यह डिस्क निचे की और अपने स्थान पर गिर जाती है, जिससे पाइप लाइन का पानी वापिस नहीं जा सकता है | यह वाल्व हॉरिजॉन्टल और वर्टीकल दोनों अवस्थाओं में लगाये जाते है | देसी भाषा में इसे पत्ता वाल्व भी कहते है |
7. प्रेशर रिलीफ वाल्व : यह वाल्व पाइप लाइनों में ऐसे स्थानों पर प्रयोग किये जाते है | जहाँ किसी कारणवश पाइप लाइनों में पानी का दबाव बढ़ जाता है और इससे पाइप लाइनों के फटने या अन्य किसी प्रकार की हानी की सम्भावना रहती है |
8. पुश वाल्व/पुश बटन : इस वाल्व का प्रयोग फ्लशिंग सिस्टर्न के स्थान पर किया जाता है अर्थात जयं इस वाल्व को लगाया जाता है, वहां सिस्टर्न लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है | इस वाल्व को चलाने के लिए इसे हाथ/पैर से पुश किया जाता है, जिससे स्प्रिंग प्रेस हो जाता है और वॉशर होल के आगे से हट जाता है और वाल्व के द्वारा पानी आकर वाटर क्लोसेट को साफ़ कर देता है |
9. Half Turn valve : इस वाल्व का प्रयोग घरों में वाटर सप्लाई को कण्ट्रोल करने के लिए स्टोरेज टैंक जो घर की छत के ऊपर रखा होता है उसके साथ किया जाता है |
10. ग्लोब वाल्व : यह वाल्व कम व्यास की उन पाइप लाइनों में अधिकतर प्रयोग किये जाते है, जिन में पानी का प्रेशर कम होता है, इस वाल्व में एक डिस्क लगी होती है, जिसको हम आसानी से हैंडल की सहायता से उसे अपनी सीट पर बैठा सकते है | इस वाल्व में पानी को कण्ट्रोल करने की क्षमता अधिक होती है | यह वाल्व पानी को जल्दी भी कण्ट्रोल करती है, परन्तु इसमें पानी का हेड लोस काफी मात्रा में होता है और पानी की घर्षण के कारण वाल्व को भी हानि पहुँचती है | यह वाल्व ग्लोब (पृथ्वी) से मिलती-जुलती शक्ल की होती है | इसलिए इसे ग्लोब वाल्व कहते है और एक पहियेनुमा हैंडल से खोली/बंद की जाती है |
11. नीडल वाल्व : इस प्रकार के वाल्वो में पानी को कण्ट्रोल करने के लिए डिस्क के स्थान पर हैंडल के साथ ही एक सुई बनी होती है | अत: इन्हें नीडल वाल्व कहा जाता है | इन वाल्वों का प्रयोग दूसरी वाल्वों की तरह आसानी से किया जा सकता है |
12. Altitude valve : यह वाल्व ओवर हेड Reservoir और Elevated Tanks की वर्टीकल इनलेट पाइप लाइनों में लगाये जाते है ताकि टैंक भरने पर पानी वाल्व के द्वारा अपने आप ही बंद हो सके और आवश्यकता पड़ने पर दोबारा भरा जा सके | इस वाल्व की पूरी कार्यप्रणाली एक कुंडलीदार कमानी पर निर्भर करती है |
13. Foot valve : इस वाल्व का प्रयोग उन पाइप लाइनों में सबसे निचे किया जाता है, जो स्टोरेज टैंको और डिस्पोजल वर्क्स में से पानी उठाने का कार्य करती है | इस वाल्व को लगाने का यह लाभ होता है की जब मोटर या पम्प बंद किया जाता है तब पाइप पूरी तरह से खाली नहीं होता है और मोटर को दुबारा से बड़ी आसानी से चलाया जा सकता है | इस वाल्व में एक डिस्क और एक चमड़े की वॉशर होती है, जो पानी के प्रेशर से ऊपर उठती है और मोटर बंद होने पर पानी का प्रेशर बंद हो जाता है | अत: डिस्क वॉशर सहित अपनी शीट पर बैठ जाती है |
14. Butter fly Valve : आजकल यह वाल्व अत्यधिक प्रयोग में आने लगे है और सभी वाल्वों में अच्छे सिद्ध हुए है तथा कम व्यास से लेकर बड़े व्यास तक प्रयोग किये जाते है | इस वाल्व में एक डिस्क होती है और एक छड की मदद से कार्य करती है और इस वाल्व को हम तितली की शक्ल में बना होने के कारण ही बटर फ्लाई वाल्व कहते है |
15. एंगल वाल्व : यह वाल्व एंगल में बने होते है इसलिए इन्हें एंगल वाल्व कहते है | इनका प्रयोग वाश बेसिन के इनलेट पॉइंट की अंडर ग्राउंड फिटिंग करने पर पानी को कण्ट्रोल करने के लिए किया जाता है तथा इनकी कार्य प्रणाली जम्पिंग वाल्व से मिलते जुलते एक वाल्व पर निर्भर करती है |
16. Audco Plug Valve : यह वाल्व कुछ घुमाने पर ही खुलते/बंद होते है | अत: इनका प्रयोग ज्यादातर पेट्रोल व तेल की पाइप लाइनों में किया जाता है ताकि वेस्टेज न हो और कम समय में वाल्व को खोला/बंद किया जा सके
17. सेफ्टी वाल्व : यह वाल्व बायलरों, गिजरों और गैस की फैक्ट्रीओं में प्रयोग किये जाते है, ताकि स्टीम या गैस की मात्रा ज्यादा होने पर भी किसी प्रकार की हानी न हो सके, क्योंकि जैसे ही स्टीम/गैस की मात्रा अधिक होती है, तब अधिक दबाव के कारण वाल्व की वॉशर नुमा डिस्क ऊपर उठ जाती है तथा स्प्रिंग कप प्रेस करती है, जिससे होल खुल जाता है और यह अधिक स्टीम/गैस वाल्व के द्वारा बाहर निकाल जाती है | इस प्रकार यह वाल्व सुरक्षा रखता है |